पंचगव्य

देशी गाय और गव्यों का महत्व ..

आज हम कितने गर्त में गिर चुके है जो गाय को देशी कहकर संबोधित करना पड़ता है और भगवान कृष्ण के वंशजों को देशी गाय की पहचान बतानी पड़ती है। जिस प्रकार हर पीली वस्तु सोना नहींहोती उसी प्रकार हर चार पैर, चार थन वाला जीव गाय नहीं होता । हम दूध के इतने लालची हो गए है कि विदेशी सूअर (जर्सी ,होल्सटीन,फ्रीजियन ) को भी गाय कहने और मानने लगे है गाय तो देशी ही होती है। गाय की पीठ पर विद्यमान सूर्यके्तु नाडी सौर मंडल की समस्त ऊर्जा को अवशोषित कर अपने गव्यों (दूध ,मूत्र,गौमय) में डालकर समस्त मानव जीवन और प्रकृति को निरोगी एवं सम रखने का कार्य करती हैं। हमारा शरीर पंचमहाभूतों से बना हैं ये प

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जानिए देसी गाय के घी का महत्व ..

आज का हमारा युवा-वर्ग हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा बताई गई ज्ञान और उपयोगिता से बहुत दूर होता गया है लेकिन आज भी बड़े-बड़े वैज्ञानिक उन्ही चीजो की खोज आज करके भी उसी प्रमाणिकता को प्राप्त करते है जो हमारे पूर्वजो ने की थी क्या आपको पता है कि गाय के घी में कितनी गुणवत्ता है शायद बहुत कम लोगो को है आइये जानते है गाय के देशी घी का महत्व हमारे जीवन में - यज्ञ में देशी गाय के घी की आहुतियां देने से पर्यावरण शुध्द होता है गाय के घी में चावल मिलाकर यज्ञ में आहुतियां देने से इथिलीन आक्साइड और फाममोल्डिहाइड नामक यौगिक गैस के रूप में उत्पन्न होते हैं इससे प्राण वायु शुध्द होती है ये दोनों यौगिक जीवाणरोध

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सभी प्रकार के रोगों की दवा दूध

सभी प्रकार के रोगों की दवा दूध दूध पुराने समय से ही मनुष्य को बहुत पसन्द है। दूध को धरती का अमृत कहा गया है। दूध में विटामिन `सी´ को छोड़कर शरीर के लिए सभी पोषक तत्त्व यानि विटामिन हैं। इसलिए दूध को पूर्ण भोजन माना गया है। सभी दूधों में माता के दूध को श्रेष्ठ माना जाता है, दूसरे क्रम में गाय का दूध है। बीमार लोगों के लिए गाय का दूध श्रेष्ठ है। गैस तथा मन्दपाचनशक्ति वालों को सोंठ, इलायची, पीपर, पीपरामूल जैसे पाचक मसाले डालकर उबला हुआ दूध पीना चाहिए। दूध को ज्यादा देर तक उबालने से उसके पोषक तत्व कम हो जाते हैं और दूध गाढ़ा हो जाता है। दूध को उबालकर उससे मलाई निकाली जाती है। मलाई गरिष्ठ, शीतल (ठ

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गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है

गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है

गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है, इसके अन्दर ‘कार्बोलिक एसिड‘ होता है, जो कीटाणु नासक है | गौमूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे, ख़राब नहीं होता है और इसमें कैसर को रोकने वाली ‘करक्यूमिन‘ पायी जाती है | गौमूत्र में नाइट्रोजन ,फास्फेट, यूरिक एसिड, पोटेशियम, सोडियम, लैक्टोज, सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए वी सी डी ई, इन्जैम आदि तत्व पाए जाते है | गौमूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है | आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन, कई बीमारियों को खत्म कर सकता है।

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