Skahore's blog

गौ - चिकित्सा भाग - 5 ( पैर रोग )

आगे के पैर की मोच ( घटने का खिसक जाना )

परस्पर लड़ने से , घातक चोट लगने से, दौड़ने और फिसल जाने पर कभी - कभी पशु की गोड़ खिसक जाती है । इसके लिए नीचे लिखें उपचार का प्रयोग करना चाहिए ।

गौ - चिकित्सा भाग - 4 ( जेर )

गाय या भैंस की जेर ( झर ) न गिरना ।
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गाय - भैंस प्रसव ( डिलिवरी ) के बाद ६-७ घन्टे बाद अपने आप जेर को बाहर डाल देती है । कमज़ोर मादा पशु की जेर कभी - कभी देर में भी गिरती है और जेर कुछ समय बाद सड़ने लगती है ।
जेर न गिरने तक , रोगी मादा पशु , सुस्त बेचैनी रहती है । चारा - दाना ठीक से नहीं खाती । उसकी योनि में से दुर्गन्ध आती है । पेशाब बार- बार और थोड़ा - थोड़ा आता है । कभी जेर छोटे- छोटे टुकड़ों में गिरती है ।

गौ - चिकित्सा भाग - 3 ( जहरवात )

यह रोग अधिकतर मादा ( दूध देने वाले ) पशुओं के थन और साधारण पशुओं के गले ( कण्ठ) में होता है । पहले गले या कण्ठ और थन में एक गाँठ पैदा होती है । कुछ ही घण्टों बाद वह बड़ा रूप धारण कर लेती है । यह रोग हर जगह हो सकता है ।

गौ - चिकित्सा भाग - 2 ( मूत्र रोग )

मूत्ररोग ( पेशाब सम्बन्धी रोग )
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१ - पेशाब का रूक- रूककर आना :-
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गुर्दे की कमज़ोरी के कारण और दाने के साथ पत्ती ,रेत अधिक खा जाने से यह रोग हो जाता है । सूखी घास अधिक खाने से और बाद में पानी पीने से भी यह रोग हो जाता है । इस रोग में पशु अधिक बेचैन रहता है । उसकी पेशाब रूक जाती है । वह पेशाब करने की बार - बार चेष्टा करता है । बार- बार उठता है । परन्तु बार - बार यत्न करने पर भी उसे पेशाब नहीं होती । रोगी पशु पाँव चौड़े करता हैं ।

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