गौभक्त विचार

गौ रक्षा हमारा परम धर्म

कुछ दिनों पहले की घटना है, हमेशा की तरह सुबह जागते ही मैं थोड़ी देर बालकोनी में बैठकर प्राकृतिक दृश्य हरे-भरे पेड़-पौधों को निहार रही थी, तभी पड़ोस की चाची जी को देखा कि वो एक गाय जो उनके घर के सामने लगाये गए सब्जियों और फूल-पौधों के बाग़ में घुसकर पौधों को खा गई थी उसे भगा रहीं थी| जब ध्यान दिया तो पता चला कि वो गाय को गन्दी गालियाँ दे-देकर कोस रहीं थीं, फिर वो गाय को भगाने के लिए उसे डंडे से मारे लगीं| मैं जल्दी से उनके पास गई और डंडा उनके हाथ से ले लिया कहा- “चाची जी मत मारिये गाय को मारना पाप होता है और गाली देना तो अपनी माँ को गाली देने जैसा है|” अब वो मुझ पर ही बिफर पड़ी

भारतीय गोवंस विशेष क्यों

भारतीय गोवंस विशेष क्यों

करनाल स्थित भारत सरकार के करनाल स्थित ब्यूरो के द्वारा किए गए शोध के अनुसार भारत की 98 प्रतिशत नस्लें ए2 प्रकार के प्रोटीन वाली अर्थात् विष रहित हैं। इसके दूध की प्रोटीन की एमीनो एसिड़ चेन (बीटा कैसीन ए2) में 67वें स्थान पर ‘प्रोलीन’ है और यह अपने साथ की 66वीं कड़ी के साथ मजबूती के साथ जुड़ी रहती है तथा पाचन के समय टूटती नहीं। 66वीं कड़ी में ऐमीनो ऐसिड ‘आइसोल्यूसीन’ होता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि भारत की 2 प्रतिशत नस्लों में ए1 नामक एलिल (विषैला प्रोटीन) विदेशी गोवंश के साथ हुए ‘म्यूटेशन के कारण’ आया हो सकता है।

लाचार गौमाता

जेठमल जैन एडवोकेट

यह कहावत प्रचलित थी कि पहले भारत में घी-दूध की नदियां बहती थीं। यानि भारत देश में इतना गोधन था कि प्रत्येक व्यक्ति को पीने को पर्याप्त मात्रा में शुद्घ दूध एवं खाने को शुद्घ घी मिल जाता था। हर घर में एक या अधिक गाय बंधी होती थीं। न आज जैसी बीमारियां थी न व्यक्ति साधारणतया बीमार होता था। गौधन की बहुतायत के कारण जैविक खेती होती थी। इन तमाम कारणों से पर्यावरण भी शुद्घ था।

कहीं आप विदेशी जर्सी गाय का दूध तो नहीं पी रहें ??

कहीं आप विदेशी जर्सी गाय का दूध तो नहीं पी रहें ??

कृप्या बिना पूरी post पढ़ें ऐसी कोई प्रतिक्रिया ना दें ! कि अरे तुमने गाय मे भी स्वदेशी -विदेशी कर दिया ! अरे गाय तो माँ होती है तुमने माँ को भी अच्छी बुरी कर दिया !! लेकिन मित्रो सच यही है की ये जर्सी गाय नहीं ये पूतना है ! पूतना की कहानी तो आपने सुनी होगी भगवान कृष्ण को दूध पिलाकर मारने आई थी वही है ये जर्सी गाय !!

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